विजय

5:10 PM at 5:10 PM

हज़ारों की लाशें, हज़ारों के आँसू, हज़ारों की पीड़ा
दिल में टीस बनकर बैठ गया
,
ये आतंकवाद का नंगा नाच है
,
जो पूरे देश में विष बनकर फैल गया
चारों तरफ था तबाही का मंजर
,
थे आँखों में आँसू
और पड़े थे लाशों के ढेर
बह गए खून जैसे पानी
,
सालस्कर
, उन्नीकृष्णन, काम्टे जैसे
वीरों ने दे दी अपने प्राणों की बलिदानी
जाए इनकी बलिदानी व्यर्थ
,
करना है प्रयास हमें ऐसा समर्थ
तो जागो मेरे युवा पीढ़ी के दोस्तों
,
योंकि तुमहीं तो हो इस देश का भविष्य
,
और तुम्हीं को अब उठाना होगा कदम
,
नहीं तो बढ़ जाएँगे इस देश की तरफ कई कदम ।।


[Contribute By: Alok Chaturvedi,EN,2nd Year]


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