हज़ारों की लाशें, हज़ारों के आँसू, हज़ारों की पीड़ा
दिल में टीस बनकर बैठ गया,
ये आतंकवाद का नंगा नाच है,
जो पूरे देश में विष बनकर फैल गया ।
चारों तरफ था तबाही का मंजर,
थे आँखों में आँसू
और पड़े थे लाशों के ढेर ।
बह गए खून जैसे पानी,
सालस्कर, उन्नीकृष्णन, काम्टे जैसे
वीरों ने दे दी अपने प्राणों की बलिदानी ।
न जाए इनकी बलिदानी व्यर्थ,
करना है प्रयास हमें ऐसा समर्थ ।
तो जागो ऐ मेरे युवा पीढ़ी के दोस्तों,
योंकि तुमहीं तो हो इस देश का भविष्य,
और तुम्हीं को अब उठाना होगा कदम,
नहीं तो बढ़ जाएँगे इस देश की तरफ कई कदम ।।
[Contribute By: Alok Chaturvedi,EN,2nd Year]
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