हम सब एक मिट्टी से बने,
एक ही जल हमे है सीचता,
हम सब एक सी हवा है लेतें,
एक ही खून हममें है दौड़ता ।
फिर ये मानव के बीच में आ गई कहाँ से कटुता?
मानव, दानव बन गया है,
हमपर संकट आ गया है ।
है कहीं त्रुटी हममें, या,
ये राजनीति की माया है ।
फिर से हमारे बीच में गूँगापन कहाँ से आया है?
सोचो, हमारी प्रशासनीक व्यवस्था में दोष है,
सुरक्षा व्यवस्था पड़ी बेहोश है?
बोलो, हमारे पास तकनीक नहीं,
या शिक्षण व्यवस्था खामोश है?
फिर ये आतंकवादियों में आया कहाँ से जोश है?
बताओ कुछ ऐसा हमें उपाए,
जो हमारे देश के काम आ जाये ।
सुख, शांति से लोग यहाँ जियें,
आओ मिलकर कुछ करें अपनी मातृभूमि के लिए ।
फिर ये इंतज़ार कहाँ से, पग अपना आगे बढ़ायें?
[contributed by: Shanti Bhai Patel, EN 2nd year]
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